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कश्मीर हमारा था, है, और हमेशा रहेगा !!!!!!!

"Abhipraya"- AjayDhawle
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पिछले दिनों गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह जी के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर समस्या के समाधान हेतु श्रीनगर गया था और वहां पर जम्मू कश्मीर सरकार के साथ साथ अन्य हितधारकों के से भी घाटी में शांति स्थापित करने हेतु चर्चा की.

सर्वदलीय प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य सीताराम येचुरी, डी राजा ,शरद यादव और असाउद्दीन ओवैसी व्यक्तिगत रूप से अलगाववादियों से मिलने हेतु गए थे किन्तु अलगाववादियों ने इन नेताओ से साफ तौर पर मिलने से मना कर दिया एवं सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को पर्यटन पर आया हुआ दल कहा . अलगाववादियों के बर्ताव एवं अड़िअल रवैये से यह स्पष्ट है की उनके दिल में कश्मीरी जनता के लिए इंसानियत , कश्मीरियत नही है और ना ही उन्हें जम्हूरियत में भरोसा है.

इंसानियत , कश्मीरियत और जम्हूरियत की बात सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने साल २००३ में की थी , वाजपेयी जी ने कहा था की कश्मीर का भविष्य यहाँ की मूल प्रकृति यानि कश्मीरियत, मानवता यानी इंसानियत और लोकतंत्र यानी जम्हूरियत में ही है,किन्तु हिजबुल के आतंकी बुरहान वाणी के एनकाउंटर के बाद से पाकिस्तान परस्त ताकते एवं वे लोग जिन्होंने कश्मीर में हिंसा फैलाना अपन व्यवसाय बनाकर रखा है या जिनकी रोजी रोटी सिर्फ घाटी में अशांति रखने से चलती है वो पिछले दो महीनो से शांति बहाली के प्रक्रिया में रोड़ा बने हुए है .

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी वाजपेयी जी के तीनो सिधान्तो को दोहराया है और घाटी में शांति स्थापित करने हेतु पिछले दो माह में गृहमंत्री जी को दो बार कश्मीर भेजा.
अलगाववादी नेताओ ने जिस तरह से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने से एवं बात करने से मना किया है उस से यह स्पष्ट है की वो ना तो कश्मीर का भला चाहते है ना ही देश का , अलगाववादी नेता गिलानी और अन्य हुर्रियत नेता स्थानीय बेरोजगार युवको को बहकाकर विरोध प्रदर्शनो में शामिल कराते है और यही प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करते है , एनआईए की जाँच में यह पता चला है की इन पथरबाजो की को हमारा पडोसी अलगाववादियों के माध्यम आर्थिक सहायता दे रहा है .अलगाववादियों के इतिहास को देखा जाये तो उन्होंने कभी भी यह स्वीकार नहीं किया की कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है , उन्होंने हमेशा अमन की राह में अड़ंगा लगाया है क्यूंकि उनकी सारी सियासत अलगाववाद पर टिकी है एवं भारत का विरोध करना उनका सियासी तथा आर्थिक रूप से सक्षम होने का मुख्य एजेंडा है .

साल २०१४ के विधानसभा चुनावो के समय गिलानी और अन्य अलगाववादी नेताओ ने चुनाव का बहिष्कार करने का आवाहन किया किन्तु जनता ने उन चुनावो में २५ सालो का रिकॉर्ड तोड़ते हुए ६० प्रतिशत से अधिक मतदान कर सरकार को चुना और अलगाववादियों को यह दिखा दिया की उन्हें जम्हूरियत में भरोसा है . यह अलगाववादी हमेशा कश्मीर की आजादी की बात करते है और यह भूल जाते है की कश्मीर आजाद भारत का अभिन्न अंग था, है, और हमेशा रहेगा .

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं जम्मू कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले श्री राम माधव जी कहते है हम उन सभी हितधारकों से बातचीत करने के लिए तैयार है जो भारतीय संविधान में विश्वास रखते किन्तु अलगाववादी साफ तोर भारतीय संविधान को मानने से मना करते है श्री राम माधव जी यह भी कहते है की पाकिस्तान जम्मू कश्मीर सरकार को अस्थिर करना चाहता है .

अलगाववादीयो ने कभी भी लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखा है वो हमेशा हड़तालतंत्र की बात करते है , जम्मू कश्मीर में अरसे बाद ऐसी सरकार बनी है जो केंद्र की सरकार के साथ मिलकर राज्य में विकास करना चाहती है एवं मजूबत केंद्र के नेतृत्व में घाटी में शांति स्थापित करना चाहती है किन्तु अलगाववादी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए अशांति बना कर रखना चाहते है. हुर्रियत नेता गिलानी ने अपनी पत्रकार वार्ता में पाकिस्तान और चीन को धन्यवाद दिया है और उन्हें कश्मीर की आजादी के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने की वकालत करने के लिए कहा है .

हमें यह भी देखना होगा की यह अलगाववादी जो दिल्ली से गए हुए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने से मना करते है वो पाकिस्तान से खुलेआम अपनापन दिखाते है और पाकिस्तानी नुमाइंदो को मिलने या पाकिस्तानी उच्चायोग के कार्यक्रमो में दिल्ली दौड़े चले आते है . भारत सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार जो इन अलगाववादियों की सुरक्षा और अन्य खर्चो पर साल के करोडो रुपये खर्चा करती है उसे तत्काल रूप से बंद करे जिससे अलगाववादियों को अलग थलग करने में मदद मिलेगी और यह रणनीतिक रूप से कश्मीर में शांति स्थापित करने हेतु दूरगामी कदम साबित होगा I

अजय धवले
कॉर्पोरेट लॉयर,
एलुमनाई नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी
Twitter : @AjayDhawle
Facebook : facebook.com/ajayd2

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